Tuesday, August 9, 2011

पंकज त्रिवेदी की चार लाईन

दोस्त हूँ मैं तुम्हारा यह कहना ही कितना वाजिब हैं यार !
सर नहीं चाहिए, कभी कंधे पे रखने का मौका दिया होता !

दोस्ती पर अच्छा लिखकर वाह वाही लूँट लेती हो तुम,
कभी उसी लिखे पर जीने के लिए गौर फरमाया होता !!
 

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