"विश्वगाथा के सभी दोस्तों,
सुप्रभात... बड़े खेद के साथ कहना पड़ता हैं कि "विश्वगाथा" पिछले कुछ दिनों से हैक हो गया था | भरसक कोशिश के बावजूद कुछ नहीं हो पाया | ऐसे समय हमारे सह सम्पादक श्री नरेन्द्र व्यास जी भी विशेष जिम्मेदारियों के बावजूद पूर्ण सहयोग देते रहे हैं, यही खुशी हैं |
"विश्वगाथा" का बड़ा परीवार हैं, उन सभी को एक कष्ट दे रहा हूँ | अब "विश्वगाथा" का नया संस्करण "शब्द मंगल" के नाम से आप तक पहुंचा रहा हूँ | उम्मींद हैं कि आप इस कष्ट को भी झेल लेंगे | मगर आप सभी का स्नेह अब भी बना रहेगा |
जीवन के राह में जब आप सही गति और सही मार्ग पर भी चलने लगते हैं तो भी अवरोध आयेंगे ही | हमने तो अपनी मस्ती में रहकर उसी सही मार्ग पर अग्रेसर होना हैं | आप सभी के आशीर्वाद और स्नेह के कच्चे धागे से बंधा हूँ और मैं कभी भी मोक्ष नहीं चाहता...आपका अपना, - पंकज त्रिवेदी
सागर की मचलती लहरें
अगर चाँद को छू जाएँ
या कोई भीगी सी याद
तुम्हारी आँखों में आंसू
बन छलक जाये
रख देंगे उन आसुओं को
सीप में संजो कर
ताकि आंसू तुम्हारे
प्यार के मोतियों में बदल जाएँ
चन्दन सी महक कोई
अगर साँसों को छू जाये
मोरपंखों से झरते रंग
अगर आँचल भिगो जाएँ
रख देंगे उन रंगों को
पलकों में संजोकर
ताकि उन रंगों से
तुम्हारे जीवन में
इन्द्रधनुष छलक जाये
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संपर्क : ३ उत्कर्ष विहार, मानिशपुरी, इंदौर मो 9893034331
रख देंगे उन रंगों को
ReplyDeleteपलकों में संजोकर
ताकि उन रंगों से
तुम्हारे जीवन में
इन्द्रधनुष छलक जाये..
बहुत सुन्दर कोमल ह्रदय स्पर्शी रचना ..शुभ कामनाएं !!!
पंकज जी ..शब्द मंगल पर सुन्दर अभिव्यक्तियों के नव इन्द्रधनुष
ReplyDeleteसतरंगी छटा बिखेरते रहें ...अपार शुभ कामनाएं !!!
विश्व्गाथा के हैक किये जाने के समाचार से अत्यंत दुःख हुआ ..वहाँ पर टिप्पणियाँ भी प्रकाशित नहीं हो पा रही हैं....सादर !!
pankaj ji shabd mangal bhi jaldi hi vishvgatha jaise vishv vyapi ho jayega shubhakamnaye....sunder kavita.
ReplyDelete"रख देंगे उन रंगों को
ReplyDeleteपलकों में संजोकर
ताकि उन रंगों से
तुम्हारे जीवन में
इन्द्रधनुष छलक जाये"
आपकी ही पंक्तियों के साथ "शब्द मंगल" को सादर शुभकामनाएं...
bahut achchi bhavnaaon se buni hai ye kavita.. tumhare jeevan mein indradhanush.. waah..
ReplyDeleteaapki nayi site aur bhi zayada viksit ho yahi prarthna hai
अगर आँचल भिगो जाएँ
ReplyDeleteरख देंगे उन रंगों को
पलकों में संजोकर
ताकि उन रंगों से
तुम्हारे जीवन में
इन्द्रधनुष छलक जाये
..bahut badiya umang-tarang bharti prastuti ke liye aabhar!
Vishwagatha हैक ho gayee sunkar dukh hua.. n jaane kya milta hai aise logon ko jo achha nahi dekhna chahte.. logon ko dukhi karne mein unhen kya mil jaata hai, yah dekhkar bahut gussa aata hai aur dukh bhi hota hai... khair is nayee surwat ke liye haardik shubhkamnayen...