Sunday, July 24, 2011

दो ग़ज़ल : श्यामल सुमन

खूबसूरत ये जहाँ

दिन कटे जब ठीक से तो है इनायत ये जहाँ
और गर्दिश के दिनों में बस क़यामत ये जहाँ

रंग चश्मे का है कैसा देखते हैं किस तरह
बात लेकिन सच यही कि है मुहब्बत ये जहाँ

रोटियाँ भी जब मयस्सर हो नहीं आवाम को
और रौनक कुछ घरों में तो अदावत ये जहाँ

रात दिन कुछ सरफिरे जो बाँटते हैं खौफ को
जब करोड़ों दिल अमन के है सलामत ये जहाँ

क्या यहाँ पे खूबसूरत कौन अच्छे लोग हैं
चैन हो दिल में सुमन तो खूबसूरत ये जहाँ



बात वो लिखना ज़रा

भावना का जोश दिल में सीख लो रूकना  ज़राहो  
नजाकत वक्त की तो वक्त पे झुकना ज़रा

जो उठाते जिन्दगी में हर कदम को सोच कर
जिन्दगी आसान बनकर तब लगे अपना ज़रा

लोग तो मजबूर होकर मुस्कुराते आज कल
है सहज मुस्कान पाना क्यों कठिन कहना ज़रा



टूटते तो टूट जाएँ पर सपन जिन्दा रहे
जिन्दगी है तबतलक ही देख फिर सपना ज़रा


दूरियाँ अपनों से प्रायः गैर से नजदीकियाँ
स्वार्थ अपनापन में हो तो दूर ही रहना ज़रा

खेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग में
बात लोगों तक जो पहुंचे बात वो लिखना ज़रा

जिन्दगी से रूठ कर के क्या करे हासिल सुमन
अबतलक खुशियाँ मिली जो याद कर चलना ज़रा


4 comments:

  1. दोनों ही गजलें बहुत सुन्दर कही गयी हैं....

    भावना का जोश दिल में सीख लो रूकना ज़राहो
    इस मिसरे में ‘हो’ लफ्ज़ अनावश्यक प्रिंट हो गया है शायद...
    सादर

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  2. खेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग में
    बात लोगों तक जो पहुंचे बात वो लिखना ज़रा

    जिन्दगी से रूठ कर के क्या करे हासिल सुमन
    अबतलक खुशियाँ मिली जो याद कर चलना ज़रा
    ...kya baat hai... bahut hi khoobsurat gajal..

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  3. क्या यहाँ पे खूबसूरत कौन अच्छे लोग हैं
    चैन हो दिल में सुमन तो खूबसूरत ये जहाँ
    ..sabse aman chain ke liye bahut hi khoobsurat soch ka hona hi to jaruri hai.....
    दूरियाँ अपनों से प्रायः गैर से नजदीकियाँ
    स्वार्थ अपनापन में हो तो दूर ही रहना ज़रा

    खेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग में
    बात लोगों तक जो पहुंचे बात वो लिखना ज़रा

    ...bilkul sahi kaha aapne baat wahi jo sab tak sahaj pahunch jaay...
    dono gajal bahut hi achhi nek bhawana liye hue hain...prastuti ke liye aabhar!

    Aap mere blog par aaye bahut achha laga, iske liye bahut bahut dhanyavad.. aapka blog bahut achhla laga..
    haardik shubhkamnayen...

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  4. आपके शब्द - मेरे कलम की उर्जा - आप सबके प्रति विनम्र आभार प्रेषित है. हबीब साहब ने अपनी टिप्पणी में बिलकुल ठीक कहा है. पंकज बही से आग्रह है कि इसे इस प्रकार ठीक कर दें कि -

    भावना का जोश दिल में सीख लो रूकना ज़रा
    हो नजाकत वक्त की तो वक्त पे झुकना ज़रा

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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